poem017

सुनील नभ – हिंदी

सुनील नभ ये, सुंदर नभ ये नभ ये अतल अहा |
सुनील सागर, सुंदर सागर, सागर अतल अहा ||धृ||
नक्षत्रों से नभ तारांकित हो चमचम हंसता |
प्रतिबिंबित कर, सागर उसको, तारांकित होता
समझ सके न कहां शुरू नभ, कहां है जलसीमा |
नभ में जल या जल में नभ का ये संगम होना ||१||

नभ के तारे सब तारे सब सागर में प्रतिबिंबित होते |
अथवा नभ में है ये बिंबित मोती सागर के |
अथवा समुचा है ये नभ, या सागर है सारा |
पुराण में सब ऋषि मानते भवसागर न्यारा ||२||

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