poem007

जयोस्तुते – हिंदी

जयोSस्तुते, श्री महन्मंगले, शिवास्पदे शुभदे !
स्वतंत्रते भगवती ! त्वांहम यशीयूतां वंदे !!
राष्ट्र चेतना मूर्त रूप तू नितीसंपदा की!
स्वतंत्रते, भगवती ! श्रीमती रानी टू उनकी !!
परवशता के नभ मैं टू हि आसमा में होती !
स्वतंत्रते, भगवती ! तुम्ही वो चांदणी चमचमती !!
फुल खिले हो गालोंपार या फुलों के हो गाल
स्वतंत्रते, भगवती ! तुम्हीं जो रंग विराजे लाल !!
टू सुरज का तेज उदधि का गांभीर्य भी तू है!
स्वतंत्रते, भगवती ! अन्यथा ग्रहण नष्ट सब है!!
मोक्ष मुक्ति ही रूप तुम्हारे, तुम्हे ही वेदांती!
स्वतंत्रते, भगवती ! योगीजन परब्रम्ह कहते !!
जो ही उत्तम, उदात्त, उन्नत, महन्मधूर सारे !
स्वतंत्रते, भगवती ! सभी है सहचारी तेरे !!
हे अधम रक्त रंजिते ! सृजन-पूजिते ! श्री स्वतंत्रते !
तेरे लिये है मरना ये जीना !!
तेरे बिना है जीना मरना !
तुझे सकाळ सृष्टी कि वंदना ! श्री स्वतंत्रते !!
जयोस्तुते …………

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